दो घूंट- चार कश से हरदम गुलजार रहती है चाय बैठकी। कहकहे के साथ साथ चलता रहता है कश पे कश।
नोट- ये फोटो मैंने अपने मोबाइल कैमरे से क्लिक की हैं। सिर्फ जुगल बंदी के लिए।
इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
1 comment:
mobile se hi sahi great photo...
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