Monday, June 30, 2008

Friday, June 27, 2008

प्यार अंधा होता है, माया भी यही कहती….

समानान्तर चीजों में भी विरोधाभाष होता है...गज़ब का विरोधाभाष। कहने को तो वो एक पुल के दो सिरे हैं। एक सिरा मुंबई के भायखला इलाके में खुलता है तो दूसरा सात रास्ता चौराहा से पहले पड़ने वाले एक और चौराहे से जुड़ जाता है।

एस ब्रिज (S).. जी हां अब इसी नाम से जाना जाता है वो पुल। जिसके दोनों सिरों के अलावा ऊपर से गुजरती सड़क के समानान्तर छोर पर बने फुटपाथ भी हमशक्ल ही नज़र आते हैं....बस अंतर है तो यही कि फुटपाथ के एक सिरे पर थम चुकी हैं प्यार के नाम कुर्बान जिंदगियां।

.......माया, यही नाम बताया फुटपाथ पर उगी दिखने वाली उस स्थूल काया की गौर वर्ण महिला ने।

एस ब्रिज से गुजरते वक्त वैसे तो किसी के भी कदम अकसर दिखने वाले एक दृश्य को देखकर थम जाते हैं....दुधमुहे बच्चों के हाथ में बंधी रस्सी का एक सिरा जब फुटपाथ की रेलिंग में गड़ी किसी बड़ी सी कील से जुड़ा हो तो एकबारगी किसी के भी दिमाग को हथौड़े की चोट तो लगेगी ही। दरअसल माया की माने तो ये बच्चे उसी के ही हैं।

इन बच्चों के पास ही फुटपाथ पड़ी दिख जाती है वो मैली कुचैली लड़की जो अभी कुछ महीनों पहले तक अपने पैरों पर भागती फिरती थी, जाने क्या हुआ उसे मानों दीमकों ने भीतर से खोखला कर डाला। हाथ पांवों की उभरी नसें बिलकुल दीमक की बांबियां नज़र आने लगीं, कुछ दिनों पहले तक वो कूड़ा-कचरा बीनने वाले लोगों के साथ उसी फुटपाथ पर सुट्टा मारते, ताश की पत्तियां फेंटती रहती थी लेकिन अब शरीर हांड़ मांस का पुतला भर रह गया।

भरे पूरे परिवार के साथ उसी फुटपाथ पर बस दो फिट की दूरी पर रहने वाली माया बताती है कि ये पुतला कुछ महीने पहले ममता का बोझ भी ढो चुका है। बाद में आखिर ऐसा कौन सा रोग लगा कि उसकी देह में इतनी भी कूबत नहीं बची कि वो अपने पैरों पर खुद के शरीर का भार ढो सके। माया भी अब उससे पूरी तरह उदासीन है कहती है, ‘जब मरद को ही उसकी फिकर नहीं रही तो और कोई क्या करेगा।’


वैसे भी मुंबई की रफ्तार ही कुछ ऐसी है कि यहां लोगों को खुद की पीर भी जल्द ही जब्त करनी होती है, फिर पीर पराई लोग यहां क्या जाने....।

(समूची खबर पढ़े सांझ सवेरे पर....)

http://sanjhsavere.blogspot.com/2008/06/blog-post_23.html

Thursday, June 26, 2008

मय हू एकाकी वन का वासी
एकाकी पन ही मेरा जीवन साथी
जब जग सारा हमको छोर चला
माय था कोलाहल से दूर खरा
थी निर्जंत भरपूर
आँखों में था आंसू मन में था भारीपन ..............................

Chay Baithkee: Kahin Is BLOG ki Sham na ho jaye...

हम जैसे लोगों के होते हुए ये ब्लॉग बंद हो जाय ये संभव ही नहीं है भाई. हम अभी जिन्दा हैं.

घूंघट की आड़ से.....




Saturday, June 21, 2008

सांझ-सवेरे: भोर...

sandeep sir kavita likhine ke baad photography ke liye waqt nikaliye....

Thursday, June 19, 2008

प्रताप सोमवंशी दक्षिण अफ्रीका में...


पिछले दिनों के सी कुलिश अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित पत्रकार प्रताप सोमवंशी फिलहाल दक्षिण अफ्रीका दौरे पर हैं। सोमवंशी वहाँ बतौर मीडिया एक्सपर्ट वहां पर गए हैं... पूरी जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें...

Wednesday, June 18, 2008

Sunday, June 8, 2008

Sangam kinare...


Sangam Kinaare ........

Kahin Is BLOG ki Sham na ho jaye...




Ashok bhai mere MITRA bhi hain aur Margdarshak bhi...Chay Baithkee ka janm mere samne ya yu kahen ki ham dono ne milkar ki ..halanki shuruaat mi mai iske liye bahut uttsahit nahi tha par Ashok sir ki mehnat aur Zoonoon ne dheere dheere mere man mai bhi ghar bana liya....


par kal achanak bahut dar sa gaya kyuki Ashok sir net par aaye aur "bole yaar mai aaj is blog ko delete kar dunga..." maine poocha ki KYUOOOOON ? to bade bhare man se unhone kaha ki is blog se jude logon ke thande pan ne mughy bahut nirash kiya hain , iske baare mai maine jo gati shoch rakhi thi wo speed isme aa nahin paa rahin hain lihaza main aaj isse chutkara paa lunga...


iske baad kafi der tak mainey bahas mubahisa kiya uski tafseel yahan dena gairzaroori hain so...kul milake mainy is baar ham sab ko jodne wali is zameen ko khone se bacha liya.....Agli baar pata nahain mai waqat par rah paoon ya nahin ...isliye aap sabhi se Zinnda rahane ka nivedan kar raha hoon...Abhimanyu.

Tuesday, June 3, 2008

हवा के संग संग

मैन हिट me

ॐ नमः शिवाय ......
सिर्फ़ पंखों से कुछ नहीं होता ...हौसलों से उड़ान होती है....
Ferrari car at आनंद भवन
विजयनगरम हॉल

Monday, June 2, 2008

Sunday, June 1, 2008

सुनो दोस्तों

0 सुनो दोस्तों यह दास्ताँ
एक दिन जिले पांच लाख लोग डीएम साहब के दरवाजे पर जाएं।
सवाल करें कि रामलाल को थाने se bhagaya kyon.
yah bhi poochen ki bookh se tadap kar idrish ka beta mara kaise
kaun deta hai apake bangle ka kharch, bangle ke ac ka bill.
kya karenge sahab
socho to
kya jawab denge ?
kya kahenge
unse, cheekat pahane ganwaron se.
kuchh bol bhee payenge?

हम किसी से कम नही ...! देखा...!
माँ के लिए आंसू ............!

तैयारी

कौतुहल -2

कौतुहल

निशाना और वो भी सुंदर गुडिया पर...........