Wednesday, May 18, 2011

यात्रा

जीवन और पथ में, बहुत समानता है,
दोनों एक दूसरे के समानांतर, सम्कक्च,
निरंतर गति से चलने वाले, अनन्त काल तक,
जिस तरह पथ में, कई मोड़, वैसे ही जीवन में,
दोनों का अपना स्थान, मृत्यु और मंजिल,
इसलिए किसी के लिए, नित्य प्रति कुछ करना,
सार्थक है... जीवन और पथ, दोनों के लिए,
तो, लगातार बड़ते चलो, सफ़र पर,
यात्रा...........अनन्त यात्रा......

Monday, May 16, 2011

हम में से ना खुदा, ना देवता है कोई,
छूकर मत देखो, हर रंग बिखर जाता है,
मिलने- जुलने का सलीका ज़रूरी है वरना,
इंसान चंद मुलाकातों में भर जाता है..

Sunday, May 15, 2011

तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं,


आकाश भी नीला था, बहारें भी आयीं थी,


सूरज भी निकला था, चाँद भी है,


पर एक तन्हाई है, और तो कुछ बदला नहीं,


तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं.....


पलकें भी झपकती हैं, आंसू भी टपकते हैं,


होटों पर मुस्कराहट भी है, झूठी ही सही,


तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं...


घटाएं भी हैं, फिजायें भी हैं, बहती हुई हवाएं भी हैं,


नदियों का कलरव है, पक्षियों का शोर भी है,


अगर नहीं तो तुम नहीं, तुम नहीं, तुम नहीं


और तो कुछ बदला नहीं, तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं....

Thursday, May 12, 2011


एक दिन आएगा, जब तुम मेरे प्यार को समझोगी,


जब तुम मेरी भावनाओं से होकर गुजरोगी,


जब तुम्हे किसी मोड़ पर मेरी ज़रुरत होगी,


जब तुम पलकें बंद कर मुझे महसूस करोगी,


लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकेगी,


और wo एक दिन बीत चुका होगा, kyonki


jo kal kaa sunhera bhawishya tha,


wo aaj ka itihaas hogaa.

Wednesday, May 11, 2011

बंद पलकों से उसे,
अपनी बाँहों में महसूस करता रहा,
सागर की उठती लहरें दिल के तारों को झनझना रहीं थी,
मन में एक अजीब सी कसमसाहट थी,
उसे अपने अन्दर समा लेने की,
हाथ मचल रहे थे,
अचानक किसी ने पीछे से आवाज़ दी,
आँख खुली तो देखा,
दूर तक सन्नाटा फैला था
और
समंदर शांत था...!

Monday, May 9, 2011

रिश्ते...

रिश्ते...रिश्ते...रिश्ते...
ये कैसे हैं,
जो जन्म देते हैं, प्यार देते हैं,
काबिल बनातें हैं, और बदले में,
मांगते हैं, जान नहीं
ज़िन्दगी!
यह कैसे रिश्तें हैं....?

Sunday, May 8, 2011

माँ की लिए...

माँ के आँचल से दूर, आज ज़िन्दगी को देखा,
घनी धूपऔर ठहरी हुई छाँव को देखा,
जब पास था तो कितना दूर था,
बात- बात पर उनका हाथ छूटता था,
आज हर डगमगाते क़दमों पर, उनका संभालना आँखों ने देखा,
गर्मी की तपती दोपहर और ठण्ड की सर्द रातों में,
आँचल की ठंडी छाँव और गर्म एहसास को देखा,
अब जब भी कभी भगवान् को देखता हूँ,
तो लगता है की आज फिर, मैंने अपनी माँ को देखा..

Saturday, May 7, 2011

दिन पूरा बीत गया, जीवन की आपा- धापी में,
हमने रिश्तों की शाखों को झकझोरा भी,
कुछ बातें थी, सूखे पत्ते बनकर टूट गयीं,
कुछ यादें थी, आंसू बनकर टपक गयीं,
हमने सारी रात उन पत्तों की आग को तापा भी,
कुछ बूँदें थी, खारे पानी की,
जो उस आग में जलकर धुंआ हुई,
अभी कुछ पत्ते बचे हैं शाखों पर,
इस उम्मीद से की,
अभी कुछ हरियाली की तासीर, बचीं है उन पर।

Friday, May 6, 2011

कभी किसी के लिए कुछ नहीं किया...

किसी के लिए कभी कुछ नहीं किया,
किसी के आंसू नहीं पोछे, किसी का दुःख नहीं बांटा,
केवल दौड़ता रहा, अपनी चाहतों, अपने सपनो को पूरा करने के लिए,
भागते- भागते पता ही नहीं चला, की कब माथे पर बल पड़ गए,
और शरीर कांपने लगा, लकीरें खिंच आयी थी चेहरे पर,
आँखें गहरी हो गयीं, और एक शून्य सा पसर गया,
तब लगा एक जीवन व्यर्थ ही बीत गया...

Monday, May 2, 2011

यह मै हूँ.... सिर्फ मै....

मेरे साथ ऐसा क्यों होता आया,
वही दूर हो गए जिन्हें अपना कहता आया,
चलो छितिज के उस पार चलें जायें,
शायद सबंधों की कोई राह निकल आये,
इधर वालों के साथ तो पल भर के थे,
उधर वाले शायद जीवन भर साथ निभाएं...
जिन्हें आजीवन मै अपना कहता रहा,
वही न कभी मेरे हो सके,
जिन्हें चाहता रहा उम्र भर,
वही भुला कर चल दिए
फिर भी प्यार की तलाश में भटक रहा हूँ मै,
कहीं राह में कोई हाथ पसारे मिल जाये...
कहीं टूट कर भिकार न जाऊं ये डर है मुझे,
जीवन भर मुझे आंसुओं ने पिघलाया,
जिन आंसुओं को मै पोचता आया,
जीवन भर शायद उन्हीं ने रुलाया,
फिर भी मै प्यार पाना चाहता हूँ,
क्योंकि यह मै हूँ....
सिर्फ मै...