खुशफहमी भरी सोच.....
ब्लोग कोई व्यक्तिगत वार्तालाप और टिप्पणी का पन्ना नहीं... न ही होना चाहिए। आपसी संवाद के लिए इंटरनेट में ईमेल की भी सुविधा है... जो बेहद सहज और सरल है। इसे इस्तेमाल करने से कैसा गुरेज़.......???हाँ... एक बात और। वो यह कि किसी आम अपील को अगर कोई व्यक्तिगत रुप से ले ले, तो उसका कोई इलाज नहीं। इस ब्लोग में एक साथी ने कुछ ऐसा ही सोचा और ऐसा ही लिखा। समस्या उन महोदय की अभिव्यक्ति को लेकर नहीं, अपितु उनकी "खुशफ़हमी भरी सोच" को लेकर है। जिसके चलते उन्होने एक आम अपील को खुद पर टिप्पणी समझ ली। रही बात किसी कि असली और नकली शैली और लहजे की, या उसे समझने की, तो उसके लिए इन्ट्रेस्ट टाइप की चीज़ भी तो होनी चाहिए। और माफ़ कीजिएगा, फ़िलहाल वह मेरे पास है नहीं...अभिनव राज --Posted By abhi to Chay Baithkee at 1/07/2008 01:30:00 PM
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