Monday, June 29, 2009

एक पैर का नाच...


शहर के बीच चौराहे की फुटपाथ पर जमा थी भीड़ चल रहा था एक पैर का नाच

लोग टकटकी लगाये देख रहे थे उस सोलह साल की लड़की को

जो फिल्मी धुन पर दिखा रही थी एक पैर का नाच

नाच का ये तमाशा दिखा रही लड़की बहुत सुन्दर थी

किसी गांव की गोरी की तरह

घुंघरुओं की छनक के साथ धड़क रहा था

वहां पर खड़े कितने नौजवानों का दिल

जिनकी नजर पैरों पर कम....उसके गदराये जिस्म पर टिकी थी

एक पैर के इस नाच पर खूब वाहवाही भी मिल रही थी

और तालियां भी बज रही थी

बीच बीच में आवाज भी आ रही थी..

जियो छम्मक छल्लो...

पूरे एक घंटे बाद नाच बंद हो गया

कितने लोगों के हाथ अपने अपने जेब में गये

जिनकी जेब से सिक्के निकले उन्होंने जमीन पर बिछे कपड़े पर उछाल दिए

जिनकी जेब से नोट निकली वो कुछ सोचने के बाद आगे बढ़ गये।

सब लोगों के जाने तक मैं वहां खड़ा रहा

मैंने उस लड़की से पूछा

तुम्हारा पैर कैसे कट गया

उस लड़की की आंखे नम हो गई

उसने मेरी तरफ देखा कुछ देर बाद बोली

एक ट्रेन एक्सीडेंट में मेरे मां बाप मर गये है

और मेरा पैर कट गया

वो रोने लगी थी

ढाढस के दो शब्द मैंने भी बोले थे

कुछ फुटकर सिक्के मैंने भी दिये

और आगे बढ़ चला।