Wednesday, January 11, 2012

और रिश्तें धुंआ हुए...

दिन पूरा बीत गया,
जीवन की आपाधापी में,
हमने रिश्तों की शाखों को,
झाझोरा भी,
कुछ बातें थीं,
सूखे पत्ते बनकर टूट गयी,
कुछ यादें थीं,
आंसूं बनकर टपक गयी,
हमने साड़ी रात,
उन पत्तो की आग को तापा भी,
कुछ बूंदे थीं,
खारे पानी की,
जो उस आग में जलकर धुंआ हुई,
अभी कुछ पत्ते बचे हैं,
शाखों पर,
इस उम्मीद से की,
अभी कुछ हरियाली की तासीर बची है उन पर....

Sunday, January 1, 2012

नए साल के नाम...

आज फिर एक पूरा साल बीत गया॥ कुछ सुख, कुछ दुःख, कुछ खोया, और कुछ पाया। जीवन निरंतर हैचलता रहता है। कोई रिश्ता टूटता है, कोई जुड़ जाता है, पर एक टीस ज़रूर रह जाती है। पाने की खुशियों की बीच कभ-कभी खोने का गम ज्यादा भरी होता है... फिर भी जीवन अनंत है, चलता रहता है। इस बेहतर गुजरे हुए साल के लिए ढेर सारी बधाई,


और आने वाले पल, माह, दिन के लिए


ढेरों शुभकामनाएं..............