भाई संदीप जी और सुनील बाबू बड़ी देर बाद आप लोग ब्लोग पर आये पर आते ही जो धक्कादेदार एंट्री मारी है वो काबिले तारीफ़ है ...भाई राजेश पुर्कैफ़ ने भुट्टों के अड्डे की याद दिला कर बड़ी पुरानी यादें ताजा कर दीं ....आज की रात इन्ही की सोंधी महक के सहारे कट जायेगी ...चलता हूँ भाई ...हवाई कह्वाखाने ( सैएबर कैफे के लिए आप कोई और शब्द ढूंढ सकते हैं...) के मालिक लगातार इशारा कर रहे हैं ...
चाय बैठकी जिन्दाबाद...
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