Saturday, January 5, 2008
इसे भड़ास न बनाएं...प्लीज़
प्रिय बंधुओं,
आप सब इस ब्लोग तक आए, अपने विचार व्यक्त किए इसके लिए आपका शुक्रिया...
पर एक बात है जो मैं शुरू से ही कहना चाहता रहा हूँ, वो यह कि यह बुद्धिजीवियों का मंच है... प्लीज़ यहाँ भडास निकालने का प्रयास न करें। हम सब के एक साथी ने हमारे लिए ही एक दीगर मंच प्रदान किया है, जहाँ भडास निकालने की उत्तम और सर्व सुलभ व्यवस्था है। यहाँ ऐसी अभिव्यक्तियों के लिए क्षमा करें। मुझे लगता है कि इस ब्लोग के होम पेज पर शीर्ष पर ही भाई अशोक स्वरूप जी ने कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं, और उसका सार भी कुछ इसी तरफ इंगित करता है।
हम यहाँ कुछ ऐसे लोगों की अपेक्षा रखते हैं जो तमाम " बकैती" के साथ-साथ कुछ सार्थक बहस के मुद्दे सामने रखें। वैसे तो यह मंच सब के लिए खुला है, पर चूंकि अभी इसमे इलाहाबादियों की आमद-रफ्त अधिक है इसलिए पन्त, निराला और बच्चन की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने की हम सब की कोशिश होना चाहिए.
कल्पना के उन्मुक्त विस्तार से लेकर हकीक़त के धरातल तक- हमारे समक्ष तमाम मुद्दे हैं, तमाम विषय है; जिसके लिए हम सब लालायित और व्याकुल हैं। बेहतर हो कि हम सब कुछ इस दिशा में बढ़ें ... चाय की एक चुस्की या उसकी कल्पना के साथ...!!!
धन्यवाद।
अभिनव राज
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