Friday, October 31, 2008
दिवाली की शुभकामनाये
Thursday, October 2, 2008
चंडीगढ़
Tuesday, September 23, 2008
क्या येही ज़िन्दगी है.......
Tuesday, September 16, 2008
रोटी का धर्म...
Monday, September 8, 2008
भरी जवानी मै तीर्थ यात्रा
कभी ऐसा सोचा नही था कि भरी जवानी में तीर्थ यात्रा करनी पड़ेगी ... भला हो अमर उजाला वालों का देहरादून से हरिद्वार लाकर पटक दिया.....अब शायद येही दिन बचे थे कि धर्म नगरी में कि रातें करवट लेकर, 'शाम गंगा किनारे और दिन सडको कि ख़ाक छानकर बीतेगा .....
पत्थर की मूर्ति
Monday, August 18, 2008
dard
देख रही है
आख्ने!
एक ख्वाब
आजादी का !
आजादी
जहा होगी रोटी
हर थली में
अमीरी नहीं चुसे गई
खून गरीबी का
हमारे रहबर
न खून हमारा यू
बहाए गे
नफरत के चिराग
बुझ जाये गे
जिसके लिए
हमारे पुरखो ने
खून बहाया था
क्या वो आजादी
दिन आ गया
लोग जस्न क्यों ?
आजादी का
मना रहे है
मना रहे है
या
सिर्फ खुद को बहला रहे है
या
सिर्फ हमें जला रहे है
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधईयाँ...शुक्रिया
ऐ सुबह! मैं अब कहाँ रहा हूँ
खवाबों ही में सर्फ़ हो चुका हूँ
क्या है जो बदल गयी है दुनिया
मैं भी तो बहुत बदल गया हूँ
मैं जुर्म का ऐतराफ़ कर के
कुछ और है जो छुपा गया हूँ
मैं और फ़क़त उसी की ख्वाइश
इखलाक़ में झूठ बोलता हूँ
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में
पर तुझ से तो हंस कर मिला हूँ
अए शख्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बेजार नहीं हूँ, थक गया हूँ
Saturday, July 19, 2008
Rang....
Wednesday, July 9, 2008
Saturday, July 5, 2008
"DHARM PAR RAJNEETI", BUS KARO.......!
Friday, July 4, 2008
Jaalim Media....! ARUSHI'S MURDER..!
Thursday, July 3, 2008
Monday, June 30, 2008
Friday, June 27, 2008
प्यार अंधा होता है, माया भी यही कहती….
समानान्तर चीजों में भी विरोधाभाष होता है...गज़ब का विरोधाभाष। कहने को तो वो एक पुल के दो सिरे हैं। एक सिरा मुंबई के भायखला इलाके में खुलता है तो दूसरा सात रास्ता चौराहा से पहले पड़ने वाले एक और चौराहे से जुड़ जाता है।
एस ब्रिज (S).. जी हां अब इसी नाम से जाना जाता है वो पुल। जिसके दोनों सिरों के अलावा ऊपर से गुजरती सड़क के समानान्तर छोर पर बने फुटपाथ भी हमशक्ल ही नज़र आते हैं....बस अंतर है तो यही कि फुटपाथ के एक सिरे पर थम चुकी हैं प्यार के नाम कुर्बान जिंदगियां।
.......माया, यही नाम बताया फुटपाथ पर उगी दिखने वाली उस स्थूल काया की गौर वर्ण महिला ने।
एस ब्रिज से गुजरते वक्त वैसे तो किसी के भी कदम अकसर दिखने वाले एक दृश्य को देखकर थम जाते हैं....दुधमुहे बच्चों के हाथ में बंधी रस्सी का एक सिरा जब फुटपाथ की रेलिंग में गड़ी किसी बड़ी सी कील से जुड़ा हो तो एकबारगी किसी के भी दिमाग को हथौड़े की चोट तो लगेगी ही। दरअसल माया की माने तो ये बच्चे उसी के ही हैं।
इन बच्चों के पास ही फुटपाथ पड़ी दिख जाती है वो मैली कुचैली लड़की जो अभी कुछ महीनों पहले तक अपने पैरों पर भागती फिरती थी, जाने क्या हुआ उसे मानों दीमकों ने भीतर से खोखला कर डाला। हाथ पांवों की उभरी नसें बिलकुल दीमक की बांबियां नज़र आने लगीं, कुछ दिनों पहले तक वो कूड़ा-कचरा बीनने वाले लोगों के साथ उसी फुटपाथ पर सुट्टा मारते, ताश की पत्तियां फेंटती रहती थी लेकिन अब शरीर हांड़ मांस का पुतला भर रह गया।
भरे पूरे परिवार के साथ उसी फुटपाथ पर बस दो फिट की दूरी पर रहने वाली माया बताती है कि ये पुतला कुछ महीने पहले ममता का बोझ भी ढो चुका है। बाद में आखिर ऐसा कौन सा रोग लगा कि उसकी देह में इतनी भी कूबत नहीं बची कि वो अपने पैरों पर खुद के शरीर का भार ढो सके। माया भी अब उससे पूरी तरह उदासीन है कहती है, ‘जब मरद को ही उसकी फिकर नहीं रही तो और कोई क्या करेगा।’
वैसे भी मुंबई की रफ्तार ही कुछ ऐसी है कि यहां लोगों को खुद की पीर भी जल्द ही जब्त करनी होती है, फिर पीर पराई लोग यहां क्या जाने....।
(समूची खबर पढ़े सांझ सवेरे पर....)
Thursday, June 26, 2008
Chay Baithkee: Kahin Is BLOG ki Sham na ho jaye...
Saturday, June 21, 2008
Thursday, June 19, 2008
प्रताप सोमवंशी दक्षिण अफ्रीका में...
Wednesday, June 18, 2008
Wednesday, June 11, 2008
Sunday, June 8, 2008
Kahin Is BLOG ki Sham na ho jaye...

Ashok bhai mere MITRA bhi hain aur Margdarshak bhi...Chay Baithkee ka janm mere samne ya yu kahen ki ham dono ne milkar ki ..halanki shuruaat mi mai iske liye bahut uttsahit nahi tha par Ashok sir ki mehnat aur Zoonoon ne dheere dheere mere man mai bhi ghar bana liya....
par kal achanak bahut dar sa gaya kyuki Ashok sir net par aaye aur "bole yaar mai aaj is blog ko delete kar dunga..." maine poocha ki KYUOOOOON ? to bade bhare man se unhone kaha ki is blog se jude logon ke thande pan ne mughy bahut nirash kiya hain , iske baare mai maine jo gati shoch rakhi thi wo speed isme aa nahin paa rahin hain lihaza main aaj isse chutkara paa lunga...
iske baad kafi der tak mainey bahas mubahisa kiya uski tafseel yahan dena gairzaroori hain so...kul milake mainy is baar ham sab ko jodne wali is zameen ko khone se bacha liya.....Agli baar pata nahain mai waqat par rah paoon ya nahin ...isliye aap sabhi se Zinnda rahane ka nivedan kar raha hoon...Abhimanyu.
Friday, June 6, 2008
yaad aa gaya wo ghuzara zamana.

Yaad aa gaya wo ghuzara zamana...
http://www.flickr.com/photos/abhimanyukumarsharma/
mai yahan bhi paya ja sakta hoon...
Monday, June 2, 2008
Sunday, June 1, 2008
सुनो दोस्तों
एक दिन जिले पांच लाख लोग डीएम साहब के दरवाजे पर जाएं।
सवाल करें कि रामलाल को थाने se bhagaya kyon.
yah bhi poochen ki bookh se tadap kar idrish ka beta mara kaise
kaun deta hai apake bangle ka kharch, bangle ke ac ka bill.
kya karenge sahab
socho to
kya jawab denge ?
kya kahenge
unse, cheekat pahane ganwaron se.
kuchh bol bhee payenge?
Friday, May 30, 2008
नमन चाय बैठकी में होने वाली बतकही को
Wednesday, May 28, 2008
Monday, May 26, 2008
Mai,maa aur munnavar

upload ki hain to maine kaha tb fir mai aaj hi uska counter karta hoon
To ye counter kaisa aap log zroor batayen. abhimanyu.