सिर्फ़ पंखों से कुछ नहीं होता ...हौसलों से उड़ान होती है....
Tuesday, June 3, 2008
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
2 comments:
bahut badiya sanjai, ganga aur yamuna ke ghat par chidiya aur insan ki kareebi ka gawah hai ye tasveer. insaan inhe dana chugata hai inki kareebi ke ahsas se anandit hota hai.
बेहद खूबसूरत....आपकी ही पंक्तियां चुरा रहे हैं। वास्तव में महज पंखों से कुछ नहीं होता...उड़ान के लिए हौसला जरूरी... और आपने तस्वीर कैमरे में कैद कर उसी हौसले की मिसाल पेश की।
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