Tuesday, June 3, 2008
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
5 comments:
सुनील भाई ये तस्वीर तो खुद में बहुत सारी संभावनाएं छिपाए है....अभी कई बार देखना होगा, आखिर घात- प्रतिघात के किस कोने में समाती है ये छवि।
aligarh me kabooterbajon ne shahar bhar ke bajon ko marane ki supaari ek nishanebaj ko de rakha hai...karan paltu kabutar ghat lagaye baaj ka aasan shikar hai.
सुनील जी बाज, चील पक्षियों की ये प्रजाति तो विलुप्तप्राय श्रेणी में है, इन्हें मारना तो बड़ा गुनाह है। ऐसे में सरेआम इनकी मौत की सुपारी...प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती है, क्या इस आशय को लेकर भी न्यूज कवर की गई है।
sandip sir maine aligarh men rahte huye in lupt hote pakshi prajati baaj per 7 kaalam ki khabar ki thi khabar mere naam se chapi thi, prashshan ke kaan me joon bhi nahi rengi....aisa lagata hai ki logon ki samvednaayen mar rahi hain
sunil bhai apki art dekhkar to fakr hota hai.
i miss you----
-kapil inext, meerut
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