Sunday, May 30, 2010

ईशीईईईई बहुत तीखा है......

मस्त चटपटा कचालू खालो भाई

मुह जल जाये तो पैसे देना.... नहीं तो मत देना



6 comments:

M VERMA said...

वाकई तीखा है
जीवंत चित्र

Rohit Singh said...

अकेले अकेले क्यों खा रहो हो. हमें भी दे दो मजा आ जाए

मिलकर रहिए said...

मेरे नए ब्‍लोग पर मेरी नई कविता शरीर के उभार पर तेरी आंख http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html और पोस्‍ट पर दीजिए सर, अपनी प्रतिक्रिया।

Udan Tashtari said...

कहाँ मिल रहा है..जगह तो पता चले!!

अजित त्रिपाठी said...

sach men sir...muh men pani aa gaya...!

Rajnish tripathi said...

आपके चटपटे कचालू की तीखेपन को देखकर वाकई जीभ फिसलने लगी।

wwwkufraraja.blogspot.com