उसे शौक है
गीली मिट्टी के घरौंदे बनाने का
सजा सजा कर रखता जा रहा है
जहां का तहां
निश्चिंत है न जाने क्यूं
अरे
कोई बताओ उस पागल को
कि
सरकार बदलने वाली है।
Friday, July 16, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
3 comments:
bahut sundar likha hai...
lekin jee lene dijiye usse jab tak sarkaarein nahi badali hain..
kabhi kabhi kushfehmiyan bhi jeene ka sahara hoti hain.
lajavab daddu...very nice!
bahut sundar likha hai...
Post a Comment