Friday, July 9, 2010
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
2 comments:
sumeet sir,ye toh debu sir ki team hai na?
han sahi pahchana. ye sab pratapgarh ke ek bahut pichade prathamik vidyalaya ke nanhe-munhe chatra hain aur aane wale bharat ki tasveer bhi.
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