Wednesday, July 14, 2010
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
4 comments:
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
वाह सुमित भाई...तबियत खुश कर दी। ये फोटो तो लंबी दूरी तय कर सकती है। कहां की है?
काश कि हम बड़े न होते...इसे देखकर तो यही ख़्वाहिश जाग रही है....
बेहतरीन फोटो है....
Really nice.
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