Sunday, December 20, 2009

और रिश्ता ख़त्म..

कुछ तुमने कहा
कुछ मैंने कहा
और जल उठी आग
सुलगने लगे ज़ज्बात
तुमने बुझाने की कोशिश नहीं की,
और संयोग से
मुझे भी पसंद है गरम चाय !

3 comments:

अबयज़ ख़ान said...

बेहतरीन.. एक चाय की प्याली में कुछ न कहकर भी आपने ज़ज़्बात उड़ेल कर रख दिये... काश आपकी चाय की बैठकी में हमारा भी साथ होता..

allahabadi andaaz said...

बहुत खूब !

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब !