कुछ तुमने कहा
कुछ मैंने कहा
और जल उठी आग
सुलगने लगे ज़ज्बात
तुमने बुझाने की कोशिश नहीं की,
और संयोग से
मुझे भी पसंद है गरम चाय !
Sunday, December 20, 2009
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
3 comments:
बेहतरीन.. एक चाय की प्याली में कुछ न कहकर भी आपने ज़ज़्बात उड़ेल कर रख दिये... काश आपकी चाय की बैठकी में हमारा भी साथ होता..
बहुत खूब !
बहुत खूब !
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