Sunday, August 30, 2009

महगाई के दोहे

महगाई ने ऐसा मारा की मिडिल वर्ग मार जाए
हे बनवारी मुरलीधारी मनमोहन लेव बचाय .

गोभी,भिंडी दाल तो अब सपनो मे दिखते हैं
आलू और टमाटर कभी कभी ही मिलते हैं.

शक्कर ने तो मध्यवर्ग का छोड़ दिया है साथ
इतने ऊँचे दम हुए की नही पहुँचता हाथ .

अभी तलाक़ मंदी ने मारा अब मार रही महगाई है
ये कैसा मौसम आया है ये कैसी शामत आई है .

मंदी ने नौकरी चीन ली अब महगाई लेगी जान
कुछ जतन करो हे दीनदयाला संसद के भगवान.

2 comments:

आशा जोगळेकर said...

मंदी ने नौकरी चीन ली अब महगाई लेगी जान
कुछ जतन करो हे दीनदयाला संसद के भगवान .

Ye bhagwan bhee patthar ke ho gaye hain.

Fauziya Reyaz said...

mazedaar hai...aapke DOHE achhe hain aur sachhai ko bayaan karte hain