जीवन और पथ में, बहुत समानता है,
दोनों एक दूसरे के समानांतर, सम्कक्च,
निरंतर गति से चलने वाले, अनन्त काल तक,
जिस तरह पथ में, कई मोड़, वैसे ही जीवन में,
दोनों का अपना स्थान, मृत्यु और मंजिल,
इसलिए किसी के लिए, नित्य प्रति कुछ करना,
सार्थक है... जीवन और पथ, दोनों के लिए,
तो, लगातार बड़ते चलो, सफ़र पर,
यात्रा...........अनन्त यात्रा......
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2 comments:
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
बहुत खूब, सुमीत जी, ऐसी ही तस्वीरें तो हमारे शहर की भी हैं और हमारे पास कैमरे भी हैं लेकिन शायद वह दृष्टि नहीं है.
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