Monday, May 2, 2011

यह मै हूँ.... सिर्फ मै....

मेरे साथ ऐसा क्यों होता आया,
वही दूर हो गए जिन्हें अपना कहता आया,
चलो छितिज के उस पार चलें जायें,
शायद सबंधों की कोई राह निकल आये,
इधर वालों के साथ तो पल भर के थे,
उधर वाले शायद जीवन भर साथ निभाएं...
जिन्हें आजीवन मै अपना कहता रहा,
वही न कभी मेरे हो सके,
जिन्हें चाहता रहा उम्र भर,
वही भुला कर चल दिए
फिर भी प्यार की तलाश में भटक रहा हूँ मै,
कहीं राह में कोई हाथ पसारे मिल जाये...
कहीं टूट कर भिकार न जाऊं ये डर है मुझे,
जीवन भर मुझे आंसुओं ने पिघलाया,
जिन आंसुओं को मै पोचता आया,
जीवन भर शायद उन्हीं ने रुलाया,
फिर भी मै प्यार पाना चाहता हूँ,
क्योंकि यह मै हूँ....
सिर्फ मै...

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