तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
आकाश भी नीला था, बहारें भी आयीं थी,
सूरज भी निकला था, चाँद भी है,
पर एक तन्हाई है, और तो कुछ बदला नहीं,
तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं.....
पलकें भी झपकती हैं, आंसू भी टपकते हैं,
होटों पर मुस्कराहट भी है, झूठी ही सही,
तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं...
घटाएं भी हैं, फिजायें भी हैं, बहती हुई हवाएं भी हैं,
नदियों का कलरव है, पक्षियों का शोर भी है,
अगर नहीं तो तुम नहीं, तुम नहीं, तुम नहीं
और तो कुछ बदला नहीं, तुम्हारे जाने से तो कुछ बदला नहीं....
1 comment:
...भावनाओ का सुंदर शाब्दिक उभार ..शुभकामनाये..
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