बंद पलकों से उसे,
अपनी बाँहों में महसूस करता रहा,
सागर की उठती लहरें दिल के तारों को झनझना रहीं थी,
मन में एक अजीब सी कसमसाहट थी,
उसे अपने अन्दर समा लेने की,
हाथ मचल रहे थे,
अचानक किसी ने पीछे से आवाज़ दी,
आँख खुली तो देखा,
दूर तक सन्नाटा फैला था
और
समंदर शांत था...!
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2 comments:
behtreen....
बहुत सुन्दर......वाह....शानदार
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