Monday, April 18, 2011

वो कहती है सुनो जाना/ मोहब्बत मोम का घर है / तपिश बदगुमानी की / कहीं पिघला न दे इसको. मै कहता हूँ की जिस दिल में / ज़रा सी बदगुमानी हो/ वहां कुछ और हो तो हो / मोहब्बत हो नहीं सकती . वो कहती है की तुम मुझको /सदा ऐसे ही चाहोगे / की मै इसमें कोई कमी/ गवारां कर नहीं सकती. मै कहता हूँ की मोहब्बत क्या है/ ये तुमने सिखाया है / मुझे तुमसे मोहब्बत के / सिवा कुछ और नहीं आता. वो कहती है जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल / की तुमसे हटकर खुद को देखना / मुमकिन नहीं है अब . मै कहता हूँ / येही कुछ है / जो मुझको सताते हैं / मगर मोहब्बत में / जुदाई साथ चलती है . वो कहती है / क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम / मेरी यादें मेरी बातें / भुला सकोगे तुम. मै कहता हूँ /की कभी इस बात को / सोचा नहीं मैंने / अगर पल भर को भी सोचूं / तो सांसे रुकने लगाती है. वो कहती है / की तुम्हे मोहब्बत इस कदर क्यों है मुझसे /की एक आम सी लड़की / तुम्हे क्यूँ ख़ास लगती है . मै कहता हूँ / की मेरी आँखों से खुद को देखो / ये दीवानगी क्यों है / ये खुद ही जान जाओगे. वो कहती है / की मुझे इस बारिताफ्गी से देखते क्यों हो / की मै खुद को बहुत कीमती/ महसूस करती हूँ. मै कहता हूँ / मदये जान बहुत अनमोल होती है / तुम्हे जब देखता हूँ ज़िन्दगी/ महसूस होती है. वो कहती है / मुझे अलफ़ाज़ के जुगनू नहीं मिलते / बता सकूं की दिल में मेरे कितनी मोहब्बत है . मै कहता हूँ / मोहब्बत तो निगाहों से झलकती है / तुम्हारी ख़ामोशी तुम्हारी बात करती है . वो कहती है / बताओ न किसे खोने से डरते हो / वो कौन है बताओ / जिसे मौसम बुलाते हैं . मै कहता हूँ / की ये शायरी है / आइना मरे दिल का / बताओ इसमें तुमको क्या नज़र आता है . वो कहती है / “मान” बातें तुम खूब बनाते हो / मगर ये सच है ये बातें / शान रखती है. मै कहता हूँ / ये बातें फ़साने एक बहाना है / की पल कुछ जिंदगानी के तुम्हारे साथ कट जायें / फिर उसके ख़ामोशी का दिलकश रब्ज होता है / निगाहें घूरती हैं बस / और लफ्ज़ खामोश होते हैं ।

2 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

इस कविता में प्रेम, आध्यात्म और मनोविज्ञान तीनो हैं... सुन्दर कविता बन गई है जिसका हर शब्द दिल में उतर रहा है... बहुत सुन्दर

Prity said...

वो कहती है / की मुझे इस बारिताफ्गी से देखते क्यों हो / की मै खुद को बहुत कीमती/ महसूस करती हूँ. मै कहता हूँ / मदये जान बहुत अनमोल होती है / तुम्हे जब देखता हूँ ज़िन्दगी/ महसूस होती है. वो कहती है / मुझे अलफ़ाज़ के जुगनू नहीं मिलते / बता सकूं की दिल में मेरे कितनी मोहब्बत है . मै कहता हूँ / मोहब्बत तो निगाहों से झलकती है / तुम्हारी ख़ामोशी तुम्हारी बात करती है ......क्या बात है...just can say "Lovely way to express emotion which is concocted with Creative Thinking, Captivating Charm, Enduring LOVE, Impetuous Zeal in Witting and many many more Feelings which was hidden in a heart".