Saturday, April 17, 2010
खुजलीबाज और उंगलीबाज
खुजलीबाज और उंगलीबाज
कई दिनों से कुछ लिखने की फिराक में हूं,लेकिन मेरी लिखने की अभिलाषाओं पर दो तरह के लोग मिलकर ऐसा तुषारापात करते हैं कि भावनाओं की फसल का अंकुर कागज़ पर उतरने के पहले ही मटियामेट हो जाता है...ये दोनो सुकून और शांति के दुश्मन हैं... दोनों की नज़र हमेशा ऐसे महानुभावों पर रहती है जो जिंदगी की भागमभाग से अलग होकर कुछ पल चैन से रहना चाहते हैं...इनमें से एक का नाम है खुजलीबाज...। खुजलीबाज एक ऐसा प्राणी है जो हर दफ्तर कार्यालय में पाया जाता है..इतना ही नहीं, राह चलते सड़क पर, स्टेशन पर , या फिर पिक्चर हॉल में भी ऐसे प्राणियों की प्रजाति बड़ी आसानी से मिल जाती है...। खुजलीबाज जब कभी भी फ्री होता है, न जाने क्यों प्राकृतिक रुप से उसकी तशरीफ में खुजली होने लगती है...खुजली भी ऐसी जिसका कोई जोड़ नहीं, कोई तोड़ नहीं..इनकी खुजलाहट के आगे बीटेक्स, और इचगार्ड जैसी दवाइयों को भी पसीना आ जाता है...इस खुजलाहट को वो अपने परम मित्र, बड़े विचित्र माननीय उंगलीबाज से शेयर करता है, उंगलीबाज की पहचान उसकी उंगली है,उसकी उंगली में सलमान के “दस के दम” से कहीं ज़्यादा दम होता है...इन दोनो ने मिलकर इतना चरस किया है कि मेरे साथ साथ पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है...इन दोनों के सामने कोई इंसान अपने मन मुताबिक काम नहीं कर सकता...उसके खुद के काम में अड़ंगा लगाकर ये ऐसा कार्यभार दिलाते हैं मानों देश की धरती से सारा सोना एक ही दिन में निकलवा लेंगे..।
सिर्फ देश ही नहीं विदेश की राजनीति में भी इन दोनो का अच्छा खासा दखल है...और इन दोनों ने अपने अपने गुरु भी बना रखे हैं..जितने भी खुजलीबाज हैं उनके गुरु आदरणीय शशी थरुर जी हैं,जिनकी खुजली ने देश के सारे राजनीतिज्ञों की खाज में चार चांद लगा रखा है...वहीं उंगलीबाजों को मैदान में डटे रहने की हिदायत उंगलीमास्टर अमरसिंह से मिलती है...दुनिया के समस्त उंगलीबाज इन्हें पिता तुल्य मानते हैं...अपनी उंगली की ताकत ये समय समय पर दिखाते रहते हैं...।
खैर...कई दिनों की मशक्कत के बाद आखिरकार मैं कुछ लिखने में सफल हो गया,हालांकि आज भी ये खुजलीबाज और उंगलीबाज राह में रोड़े अटका रहे थे लेकिन इन दोनों के प्रकोप से अंतत: मैं बच गया....।
भले ही मैं बच गया लेकिन आप लोगों को हिदायत दे रहा हूं ज़रा बच के रहना इन दोंनों से...।
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3 comments:
bilkul bach ke rahenge...mazedar lekh...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
bdhai bhut achchha hai
dr. ved vyathit
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
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