लिखिए भाई लिखिए भाई
पीपल पेड़ पुराना लिखिए,
गांव का एक ज़माना लिखिए।
भौजाई का ताना लिखिए,
देवर का गुर्राना लिखिए ।
नाना का वो गाना लिखिए
नानी का शर्माना लिखिए ।
अपना कोई फसाना लिखिए
बीवी से घबराना लिखिए ।
देश का ताना बाना लिखिए,
देश की जान बचाना लिखिए ।
धूप में पांव जलाना लिखिए,
बारिश में नहाना लिखिए ।
कागज़ की नाव बनाना लिखिए,
बारिश में उसे बहाना लिखिए।
आना लिखिए जाना लिखिए,
हरकत कोई बचकाना लिखिए.।
मुलायम का साथी लिखिए,
मायावती का हाथी लिखिए।
कांग्रेस का पंजा लिखिए
कमल का कसा शिकंजा लिखिए।
समय का अत्याचार भी लिखिए,
टूटते घर परिवार भी लिखिए।
महंगाई की मार भी लिखिए,
बढ़ते बेरोज़गार भी लिखिए।
Saturday, July 25, 2009
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9 comments:
बहुत बढ़िया लिखा है
अच्छी कोशिश। लिखते रहिए।
लिखने से कुछ बच जाए तो
न लिखने का बहाना लिखिए
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सुन्दर। लिखते रहिये।
लिख दिया भाई लिख दिया
कितना सुंदर लिख दिया।
झूमने का मन कर रहा है।
बेहतरीन, अगला फिर से गाना लिखिये...
रोना और मनाना लिखिये..
हर्रे बर्रे पर गाना लिखिये।
गंगा में बुडबुडाना लिखिये
पानी में उतराना लिखिये
पंडों का गुर्राना लिखिये
चाय का पैंमाना लिखिये
पहर धूप तपाना लिखिये
और अंत में,
हिलेरी क्लिंटन के हाव भाव देख
हरखू का शरमाना लिखिये :)
बहुत सुंदर गीत लिखे हो बंधू।
अच्छी कोशिश .. लिखते चलें !!
बदिया अजित .....अच्छा लिखा है पर....
अब न पोस्ट पुरानी लिखिए ..
कोई नयी कहानी लिखिए..
कितना सुंदर लिख दिया।
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