"यह तो नहीं कहा की बिना मतलब हाथ काट देंगे, अगर किसी का हाथ हिन्दुओं पर उठता है तो ज़रूर हाथ काट डाले जाने चाहिए। इसमें गलत क्या है? हां, हम पहल ज़रूर अपनी तरफ से नहीं करेंगे। पर क्या हमें जवाबी कार्यवाही का भी हक नहीं है?"
यह वोह कमेन्ट है जो भेजा गया। इन लाइनों को लिखने से पहले ये तो सोचना चाहिए की अभी तक निशाना कौन बने? आंध्र प्रदेश मैं क्रिशच्यानो को जिन्दा जला दिया जाता है तो कोई बदला नही लिया जाता। गुजरात में मुसलमानों को काट दिया गया तब कोई हाथ नही काटा। तो अब यह धमकी किसके लिए है। जब भी हमले हुए मुसलमानों का नाम आया। लेकिन मालेगाओं के नाम पर खामोश क्यों है..
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1 comment:
क्या प्यार-महोब्बत से किसी को जीत नहिं सकते ये लोग?
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