Wednesday, February 13, 2008

हम भी पा गए चाय बथ्की

पढें लिखे टू थोड़ा बहत हम भी है लेकिन चाय बठकीकी आप लोगो की बेकती नही पड़ पा रहा था .दरअसल पढें लिंखे लोगो को उन्पद बना देने की जो इंटरनेशनल खुराफात चल रही है मैं भी उसका सिकार हो गया था । खैर मैंने अपने देसी जुगाड़ से इस तरकीब से निपट लिया है .और हा अशोक सर आपने बाकि ब्लोग्गेर्स से हम लोगो का परिचय कराया इसके लिए सुक्रिया .लेकिन सुनील भाई इस बात से बहुत नाराज थे की आप उनको भी किसी परिचय का मोहताज समझ रहे है अपन अल्लाहबदी है टैब कहे का परिचय .बाकि जो अलाहाबाद मां दुई बच्चा अखबार गएँ है उई बैया बैया चले लगे की नही .बाकि सब तीख है मरत की चाय मैं चीनी जादा है .

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