Tuesday, February 12, 2008

साहित्य की अलख जगाये रखिये...

सभी बैठक बाज़ भाइयों को नमस्कार।
कम्प्यूटर जी कुछ दिनों से हमसे नाराज़ चल रहे थे (कुछ तकनीकी कारणों से चाय बैठकी का पेज खुल नही रहा था) पर आज हमारे और कम्प्यूटर जी के बीच सभी गिले-शिकवे दूर हो गए। और शायद इसीलिए आपके सामने आ सका हूँ। बीते एक-दो पखवारे में बैठक बाज़ी को जैसे ग्रहण लग गया है। मैं आज लौटा तो मुझे कुछ ऐसा ही लगा। भाई संदीप सिंह और अजय राय जी भी कहीं और व्यस्त हो गए हैं। उनसे ये अपेक्षा नहीं है। और हाँ कुछ नए साथी जुडे तो ज़रूर पर उनकी मौजूदगी को शब्दों के जरिये नहीं महसूसा जा सका। हाँ एक बात और, संदीप सिंह की बेहतरीन लेखनी के लिए उन्हें बधाई और साधुवाद। ठिठुरन भरे इस सर्द मौसम में साहित्य की अलख जगाये रखिये... अगर वास्तव में बैठक बाज़ी के शौकीन हैं तो।

आपके शब्दों के इंतज़ार में, आपका भाई
अभिनव राज

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