Saturday, December 22, 2007

मंगल बाज़ार से मंगल गृह तक

आज कल टीवी के खबरिया चैनलों में एक नया ट्रेंड चल निकला है... अंतरिक्ष की स्टोरीज़ देने का... ! जिस चैनल में देखिए वहीं कुछ ऐसी ही खबर देखने को मिल जाएगी। बहार आ गई है ऐसी खबरों की। कही मंगल की किसी से टक्कर दिखाई जा रही है, तो कहीं मंगल पर अमंगल की चिंता में दर्शकों को डुबोया जा रह है। अब दर्शक का क्या ... बेचारा टीवी रखा है तो देखेगा ही जो भाई लोग दिखाएंगे।
हास्यास्पद यह लगता है कि कम से कम ये तो ज़रूर सोचना चाहिए कि जो दर्शक बेचारा दिन भर की जी-तोड़ मेहनत के बाद घर आता है उसे मंगल या शनि पर अमंगल से क्या लेना... ! वो तो बेचारा मंगल बाज़ार से दूर या ज्यादा कुछ सोच सकने में ही असक्षम है।
मंगल बाज़ार का जिक्र आया तो यह बता देना लाजिमी है कि दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में एक साप्ताहिक बाज़ार लगती है जिसे मंगल बाज़ार कहते हैं। तो हाँ, मैं कह रहा था कि जो दर्शक मंगल बाज़ार से दूर कि नहीं सोच सकता वो बेचारा मंगल गृह पर अमंगल से क्यूँ परेशान होने लगा... !
खैर टीवी तो टीआरपी की खोज में ब्रह्माण्ड के किसी भी गृह में जा सकता... पर बेचारा दर्शक नहीं!!!
उसकी दुनिया तो मंगल बाज़ार तक ही है, मंगल गृह पर नहीं।


अभिनव राज

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