Saturday, November 13, 2010

तुम मिले....

तुम मिले..दिल खिले...और जीने को क्या चाहिए,
न हो तू उदास ..तेरे पास-पास.... मैं रहूँगा जिंदगी भर

2 comments:

Sandeep Singh said...

ये आलिंगन शाखों पर देर तक पतझड़ नहीं रहने देगा।

Rajesh Tripathi said...

इन पेड़ों की भाषा आप कब सीखेगें दादा.....