सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है।
मगर जब गुफ्तगू करता है चिंगारी निकलती है।।
कल बुखारी साहब का साक्षात्कार किया,उनके एक एक अल्फाज़ ज़हर से बुझे हुए थे,ऐसा लग रहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने साठ साल पुराने जख्मों पर बेदर्दी से नमक रगड़ दिया हो,मुझे रत्ती भर आश्चर्य नहीं हुआ क्यों कि बुखारी साहब तो आग उगलने के महारथी ही हैं..आश्चर्य तो इस बात पर था कि 2 लाख से ज्यादा नमाज़ अदा करने आए मुस्लिम युवा भी बुखारी की भाषा बोल रहे थे...गुफरान इरफान नूर मोहम्मद,असलम,जाकिर जाहिद और बहुत सारे,ये वो लोग थे जो पढ़े लिखे हैं,आई.आई टी,पी.एम.टी,बी.काम,एम काम करने वाले युवा और फिर आफिस आकर मुलायम का बयान सुना...मन सिहर उठा कुछ सोचकर।
Saturday, October 2, 2010
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