मेरे मोबाइल कैमरे से ली गई एक तस्वीर....................
Tuesday, March 18, 2008
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इलाहाबाद शहर का अपना अलग अंदाज, अलग मिजाज़ है...इस शहर के बाशिंदो के लिए बैठकी करना टाइम पास नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी का हिस्सा है...इस बैठकी में चाय का साथ हो तो क्या कहने...फिर आइये चायखाने चलते हैं...इन बैठकियों में खालिस बकैती भी होती है और विचारों की नई धाराएं भी बहती हैं...साथ ही समकालीन समाज के सरोकारों और विकारों पर सार्थक बहस भी होती है...आपका भी स्वागत है इस बैठकी में...आइये गरमा-गरम चाय के साथ कुछ बतकही हो जाए...
2 comments:
purkaif tasveeron ko padane ka kya....magaj pe jor dalne ka, dhayan se dekhane ka, samjh me aaye to coment marne ka.tasveeren khinch rahe hai dehkar bhala laga. samundar ki tasveeren dikhayie...........
डैडी ये कैसा विचित्र चित्र है इसको भुजने में समय लगेगा...थोड़ा सरल करो न...
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