tag:blogger.com,1999:blog-1143156860068759608.post2981913382978878064..comments2023-10-06T18:57:20.900+05:30Comments on चाय बैठकी...: इलाहाबाद! एक गहरे बिछोह का नाता है तुझसेSwaruphttp://www.blogger.com/profile/09707755333516226269noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1143156860068759608.post-54946819687162949922008-04-13T22:43:00.000+05:302008-04-13T22:43:00.000+05:30इलाहाबाद को दूर से देखिये तो बड़ा सुंदर शहर है ...प...इलाहाबाद को दूर से देखिये तो बड़ा सुंदर शहर है ...पर यहाँ रह भर जाइए ,हो गया बवाल ...नामाकूलतीरे नीमकश की तरह जिगर में ऐसा उतर जाता है की ..न इस पार ,न उस पार ..फिर तो ये खलिश आपके वजूद का हिस्सा हो जाती है ..शहर में रहते हुए भले हम इसे लाख गरियाएं ..पर आप जहाँ भी जायेंगे बेताल की तरह ये आपके साथ रहेगा ही ..कभी आपको कोफ्त देगा तो कभी इतनी शिद्दत से याद आयेगा की आँखें डबडबा जायेंगी ...कुछ साल पहले लखनऊ रहने के दौरान इलाहाबाद आने पर कुछ ऐसे ही महसूस होता था ..आज अनिल जी ने फिर वो यादें ताजा कर दीं ...<BR/>आपकी पोस्ट पढ़ कर आज मुनव्वर का शेर बड़ी शिद्दत से याद आ रहा है ॥<BR/> कहीं भी छोड़ के अपनी जमीं नही जाते ...<BR/> हमें बुलाती है दुनिया हमीं नहीं जाते ....Swaruphttps://www.blogger.com/profile/09707755333516226269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1143156860068759608.post-91003751146091797722008-04-08T15:07:00.000+05:302008-04-08T15:07:00.000+05:30अबकी बार जाने से पहले बैठकबाजों की कान में आगमन की...अबकी बार जाने से पहले बैठकबाजों की कान में आगमन की फूंक भर डाल दें, फिर कटिंग का ऑडर देकर बस तैयार होने तक का इंतजार करें। वापसी में संगम की रेत और गुलमुहर से सजा वो रेतीला रास्ता तो स्मृतियों में होगा ही...यादों के बस्ते में बहुतेरे लेखों का मसाला भी जमा हो चुका होगा।Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.com